
कथावाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने एक बार फिर अपने बयान से राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा छेड़ दी है। इस बार उन्होंने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के अपने संकल्प को स्पष्ट रूप से सामने रखा है। उनका कहना है कि यह उनका केवल व्यक्तिगत मत नहीं है, बल्कि उनके जीवन का लक्ष्य है।
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, “कुछ लोग इस देश को पाकिस्तान बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हम भारत को उसकी मूल सनातन संस्कृति की ओर ले जाने का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहे हैं।” उनका मानना है कि भारत की आत्मा सनातन धर्म में ही रची-बसी है और उसी परंपरा को पुनर्स्थापित करना ही समय की मांग है।
शास्त्री जी ने आगे कहा कि उनका उद्देश्य किसी समुदाय के विरुद्ध नहीं है, बल्कि वह भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों की रक्षा करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अंततः यह निर्णय समाज को करना है कि कौन सही है और कौन गलत। वे मानते हैं कि जनता सब देख और समझ रही है, और समय आने पर सत्य को स्वीकार भी करेगी।
धीरेंद्र शास्त्री के इस बयान को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में विभिन्न प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ लोग इसे धार्मिक चेतना का आह्वान मान रहे हैं, तो कुछ इसे देश की धर्मनिरपेक्ष छवि पर सवाल खड़ा करने वाला विचार बता रहे हैं।
हालांकि, शास्त्री का यह बयान साफ करता है कि वे अपने आध्यात्मिक मंच का उपयोग सामाजिक दिशा तय करने के लिए भी कर रहे हैं। उनके अनुसार, “हमारा लक्ष्य भारत को उसकी जड़ों से जोड़ना है, और यह कार्य हम प्रेम व शांति के साथ करेंगे।”